लव जिहाद में पिसती भारत की "बेटियां"
सभी भग्नि बंधुओं को हर हर महादेव 🙏🙏🙏
ये मोदी - योगी क्या कर रहे हैं??
आर एस एस, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद् वाले कहां हैं और क्या कर रहे हैं??
उस राज्य में तो भाजपा सरकार है फिर क्या हो रहा है??
इस तरह की बातें अभी आप सबको बहुत सुनने को मिल रही होंगी लेकिन मैं इनमें से एक भी बात आपसे नहीं कहना चाहता।
बल्कि मैं तो आपसे यह पूछना चाहता हूं कि आप क्या कर रहे हैं??
अब आप कहेंगे कि हम क्या कर सकते हैं?? हम तो उस राज्य में भी नहीं रहते और न ही उस क्षेत्र में, जहां यह घटना हुई है।
तो मेरा प्रश्न आपसे यह है कि अगर आपके यहां, आपके क्षेत्र में भी यह घटना हुई होती तो आप क्या कर लेते या क्या कर सकते थे??
है कोई उत्तर आप सबके पास??
आपके क्षेत्र तो छोड़िए, आपके मोहल्ले या घर में ही हो जाता तो आप क्या कर लेते??
मुझे तो नहीं लगता कि आपके पास कोई उत्तर होगा।
फिर मोदी - योगी, आर एस एस वाले क्या कर रहे हैं??
क्यों चुना है हमने इन्हें??
तो वो क्या करेंगे ये मैं आपको बता देता हूं -
मोदी और योगी या इनके अपने राजनैतिक दल के मुख्यमंत्री या जनप्रतिनिधि सब के सब "संवैधानिक पदों" पर हैं तो "संविधान" की सीमा में रहकर ये लोग सिर्फ इतना कर सकते हैं कि न्याय दिलाने की कार्यवाही को थोड़ी गति दे सकते हैं, जल्दी से जल्दी आरोपियों को गिरफ्तार करवा सकते हैं और ज़्यादा से ज़्यादा अच्छे से अच्छा सरकारी वक़ील लगाकर आरोपियों को फांसी दिलाने की पैरवी न्यायालय में कर सकते हैं।
लेकिन ये सब कब होगा??
आपकी बेटी के उसकी कनपटी पर गोली खाने के बाद...
तो आप क्या चाहते हैं???
बेटी की कनपटी उड़ा देने वाले आरोपियों को फांसी???
या फिर....
जीती जागती अपनी बच्ची???
सबको अपनी बेटी ही चाहिए न??
तो फिर बेटी को जीवित बचाने के लिए आपकी तैयारी भी वैसी होनी चाहिए,
और इसलिए कि अभी आपने कुछ ठीक लोगों को सत्ता दे दी है तो अभी आपकी तैयारी सिर्फ इतनी है कि आप सिर्फ अपराधियों को उचित दण्ड दिला सकते हैं, अपराध होने से नहीं बचा सकते। उसके लिए अलग तैयारी लगेगी।
और चूंकि अपराध सिर्फ इसलिए हुआ है कि आपकी बेटी हिंदू है और धर्म परिवर्तन न करके हिंदू ही रहना चाहती है तो फिर यह हमला किसी तोमर की बेटी पर नहीं "हिंदू समाज" की बेटी पर हुआ है, हमारी और आपकी बेटियों पर हुआ है और अगर मुसीबत पूरे "हिंदू समाज" के सामने खड़ी है तो हमें लड़ना भी पूरे हिंदू समाज के रूप में ही चाहिए।
तो हिंदू समाज के रूप में आपकी तैयारी क्या थी??
और अब भी क्या है??
कुछ भी नहीं।
लेकिन होनी चाहिए और क्या तैयारी होनी चाहिए??
चलिए इस पर भी चर्चा कर लेते हैं।
सबसे पहले आपके घर से ही शुरू करते हैं -
सर्वप्रथम आप स्वयं को देखें कि घर में आपका अन्य सदस्यों से कैसा संवाद है?
अगर आप घर के मुखिया हैं तो इस बात का आप ध्यान रखें कि आपके और घर के सदस्यों के बीच में, सभी सदस्यों के बीच आपस में संवाद (communication)बना रहे, संवादहीनता (communication gap)की स्थिति बिल्कुल भी न बने।
भाई, बहन, माता, पिता, सबके बीच संवाद अवश्य हो उससे यह लाभ होगा कि परिवार के सदस्यों का और विशेषकर के बेटियों का अपने माता-पिता, भाई बंधुओं पर एक विश्वास बन जायेगा कि किसी भी प्रकार की विकट परिस्थितियों में वो अपने बड़ों को अपनी समस्या बता सकतीं हैं और उन्हें ऐसा करने पर डांट नहीं अपितु सहायता मिलेगी।
आप सबने देखा होगा कि बच्चों की समस्याएं और विशेषकर बेटियों की समस्याएं मां-बाप या भाइयों को भले ही न पता हों लेकिन उनके मित्रों या सहेलियों को अवश्य पता होती हैं क्योंकि उनके बीच एक परस्पर संवाद (communication) बना रहता है जो कि घरवालों के साथ नहीं होता है और समस्या बता देने पर सहयोग की आशा से अधिक डांट फटकार का डर होता है और हमारी इस कमी के कारण हमारी बेटियां इन जिहादियों का शिकार हो जाती हैं।
अब आता है अगला चरण -
अपने घर में परस्पर संवाद ठीक करने के बाद अब आप अपने मोहल्ले के सभी घरों के मुखिया से संपर्क करें और जो आपने अपने घर में किया है वही उन सब लोगों को अपने-अपने घरों में आचरण करने को कहें।
अपने घर के अगल बगल वाले घरों के मुखिया को साथ लेकर मोहल्ले के अन्य घरों में भी जाएं और अपनी बात लोगों को समझाएं।
अब अगर आप कहेंगे कि वो हमारे मोहल्ले के फलां फलां लोग तो धर्मनिरपेक्ष हैं और कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन करते हैं उनको कैसे समझाएं तो मैं आपको एक बात कह दूं कि भले ही वो किसी भी दल का समर्थन करें पर अपनी बेटियों की सुरक्षा चिंता सभी करते हैं और अगर आप अपनी बात कुछ इस तरह से रखेंगे तो कि जिहादी कोई कांड करने से पहले यह नहीं देखते कि आप किस दल के समर्थक हैं??
आप जिस भी दल को समर्थन देना चाहें दीजिए लेकिन इस काम में हम सबके साथ चलिए।
धीरे-धीरे करके शहर के हर एक मोहल्ले तक अपनी बात पहुंचाइए, अपने परिचितों को भी यह सब बातें अपनाने और इस योजना को अपने-अपने गली मोहल्ले में मूर्तरूप देने का आग्रह कीजिए।
अब इससे यह लाभ होगा कि जब ऐसी कोई समस्या अगर उत्पन्न होती है तो परिवार में परस्पर संवाद और आपसी समझ (understanding) होने के कारण बेटियां अपनी समस्या घर पर बताएगीं और चूंकि पूरे मोहल्ले में इसी तरह की व्यवस्था है तो कम से कम पूरा मोहल्ला आपके साथ खड़ा होगा, जहां मात्र एक परिवार इस समस्या से लड़ता और वो भी बात हाथ से निकल जाने के बाद, अब पूरा मोहल्ला इस समस्या से लड़ेगा वो भी समय पर समस्या पता चलने के साथ।
इसके अतिरिक्त अपने बच्चों को अपने धर्म के बारे में समझाने के साथ साथ उन्हें अपने इस धर्म में मिलने वाली स्वतंत्रता का महत्व भी समझाएं, उन्हें समझाएं कि धर्म तो वही श्रेष्ठ है जो आपको स्वतंत्रता दे, मुक्ति दे, सम्मान दे और अपने हिसाब से जीवन जीने का अधिकार दे जैसा कि वो अभी जी रहे हैं।
जब वो यह समझेंगे तो संकुचित सोच वाले मज़हबों के लोगों की ओर आकर्षित ही नहीं होंगे और ऊपरी चीज़ों से आकर्षित होने के बजाय स्वतंत्रता और अधिकारों को अधिक महत्व देंगे जो कि महिलाओं को दर्जन भर वस्त्रों में लपेट कर रखने वाले संकुचित सोच वाले लोगों के मज़हब में नहीं मिलेगी।
और रही बात आत्मरक्षा की तो वो सिर्फ बेटियों को ही नहीं आपको भी आनी चाहिए एवं आत्मरक्षा के साधन भी आपके घरों में होने चाहिए।
आपके दिमाग़ में सोच बिल्कुल साफ होनी चाहिए कि अगर ऐसी स्थिति बनती है कि आप पर कोई संकट आ गया है तो आप क्या करेंगे?? सिर्फ आत्मरक्षा या सामने वाले "असामाजिक तत्व" को अपने वार से सीधी मुक्ति ही प्रदान कर देंगे??
उस "जिहादी" को मुक्ति प्रदान कर देंगे तो आप कारागृह में जाएंगे लेकिन कम से कम जीवित रहेंगे और आपकी याद आने पर आपके प्रियजन आपसे मिल जुल तो सकेंगे।
यह बात साफ रखें और बच्चों - बच्चियों को भी साफ निर्देश दें, कोई दुविधा न पालें और न पालने दें क्योंकि कानून के दायरों में रहकर उन लोगों से लड़ा जाता है जो "कानून के दायरों" को मानते हों।
अब अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अब नेताओं और पुलिस के भरोसे रहना छोड़ दीजिए, ये सब आपकी सहायता आपकी बेटी की कनपटी पर गोली पड़ने के बाद कर पाएंगे, भले ही वो किसी भी विचारधारा के हों लेकिन अपनी बेटी कनपटी पर गोली पड़ने से बचाने का बीड़ा तो आपको ही उठाना चाहिए, उठाना पड़ेगा क्योंकि
"एक समाज के रूप में आपकी तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है"।
जो मुझे कहना था मैं कह चुका,
विचार कीजिए और आपको बात ठीक लगे तो करके देखिए और देखिए क्या बदलाव आता है और अगर इन उपायों में कुछ कमी लगी हो या यह प्रभावी न लगे हों तो आप कोई उपाय सोचिए लेकिन कृपा करके सरकारों और पुलिस के भरोसे मत बैठिए क्योंकि उनके लिए हर एक अपराध रोकना संभव नहीं है।🙏🙏🙏
हर हर महादेव 🙏🙏🙏
लेख ✍️ - #सशक्त_भारत_श्रेष्ठ_भारत
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