मज़हबी उन्मादियों का पत्थर प्रेम : जिहादियों द्वारा पथराव का कारण
मज़हबी उन्मादियों का पत्थर प्रेम : जिहादियों द्वारा पथराव का कारण
सभी भग्नि बंधुओं को हर हर महादेव 🙏🙏🙏
ये लेख तो मैंने तब लिखा था जब इंदौर में "मज़हबी उन्मादियों" द्वारा डॉक्टरों पर सिर्फ इसलिए पथराव कर दिया गया था क्योंकि वे एक मोहल्ले में लोगों के सैंपल लेने पहुंच गए थे और हमारे एक मित्र यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर ये क्यों हुआ??? क्योंकि वो डॉक्टर्स तो उनका उपचार करने के लिए गए थे फिर भी उनको क्यों पत्थर खाने पड़े??
बात थोड़ी अजीब भी थी तो उनको समझाने के लिए एक पूरा लेख लिख डाला था मैंने।
और यहीं से मेरे लिखने की शुरुआत हुई।
अब इस बात को समझते हैं कि "मज़हबी उन्मादी" जहां बहुसंख्यक हैं वहीं क्यों पथराव होता है??
इस्लामिक क़ानून के मुताबिक कुफ्र की सज़ा होती है
पत्थरों से मार मारकर मुजरिम को मौत की सज़ा देना।
*अब सवाल यह है कि कुफर (कुफ्र) क्या होता है?
तो इससे पहले हमें उम्मा को समझना होगा।
**इस्लाम में या इस्लामिक कानून में राष्ट्र का, देश का कांसेप्ट नहीं होता उनमें उम्मा मानते हैं इसका मतलब सारे विश्व में कहीं भी या दूसरे ग्रह पर ही क्यों न सही कोई मुसलमान रहता है उसको अगर कोई तकलीफ़ होती है या इस्लाम पर दुनिया के किसी भी कोने में कोई आंच आती है तो दुनिया में जितने भी मुसलमान हैं उनको उनके हक़ के लिए आवाज़ उठानी है सीधे शब्दों में कहें तो पूरी दुनिया की मुस्लिम आबादी या "Muslim fraternity" को ही "उम्मा" कहा जाता है।
यही कारण है कि जन-गण-मन बजने पर इनके दिलों में कोई हलचल नहीं होती है क्योंकि जन-गण-मन राष्ट्र से जुड़ी बात है और इनकी क़ौम से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इनका विश्वास बचपन से ही राष्ट्र में नहीं उम्मा, क़ौम और मज़हब के आसपास ही विकसित किया जाता है इसलिए ये राष्ट्र को कोई गाली दे तो भले ही ये प्रतिकार न करें पर पाकिस्तान के लोगों को गाली दो तो तुरंत प्रतिक्रिया देंगे क्योंकि उसमें उम्मा को तक़लीफ हुई। अब जबकि विश्वास ही उम्मा के आधार पर टिका है तो राष्ट्र से पहले हमेशा अपने मज़हब के लोगों या देशों के हर सही ग़लत निर्णय का समर्थन करते हैं क्योंकि अपनी उम्मा की मदद वो पहले करेंगे भले ही वो राष्ट्र विरोधी हो जायें जिससे कि उनको फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि राष्ट्र की विचारधारा उन्होंने बचपन से ही नहीं सीखी। उन्होंने बचपन से ही "उम्मा" की विचारधारा को अपनाया और समझा है जो कि उनके लिए हमेशा सर्वोपरि होती है तो वो हमेशा उम्मा को ही समर्थन देंगे।
*अब आते हैं इस पर कि कुफ्र (कुफर) क्या होता है?
जैसा हम राष्ट्र के विरुद्ध किसी गतिविधि को राष्ट्रद्रोह या राजद्रोह या देशद्रोह बोलते हैं वैसे ही ये इनकी "उम्मा" या अपने मज़हब के ख़िलाफ़ होने वाली गतिविधियों को कुफ्र (कुफर) कहते हैं जिसकी सज़ा इस्लामिक कानून के हिसाब से है कि मुजरिम को पत्थर से पीट पीटकर मृत्यु दण्ड दिया जाये।
**अब आते हैं इस बात पर कि ऊपर लिखी बातों का इंदौर की पत्थरबाजी से क्या संबंध है क्योंकि डॉक्टर्स तो सिर्फ़ इनका सैंपल लेने के लिए गये थे। ये "कुफ्र" कैसे हुआ??
*तो ये कुफ्र कुछ इस तरह हुआ कि दिल्ली में जो जमात मरकज़ में पहुंची थी(मरकज़ - इस्लामिक शिक्षा का केंद्र होता है, जहां इस्लामिक शिक्षा दी जाती है) वहां के मौलाना ने इनको बोला कि कोरोनावायरस अल्ल्लाह का अज़ाब है, अल्ल्लाह का कहर है, इससे "बचने की कोशिश" बेकार है अगर अल्ल्लाह चाहेगा तो इसी से मरोगे।यहां बचने की कोशिश मतलब "सोशल डिस्टेंसिंग" और घर पर रहना जिसके लिए सरकार ने मस्ज़िदों में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगा दी। अब मौलवी ने कहा अल्ल्लाह के ही अज़ाब से बचने के लिए नमाज़ की पाबंदी नहीं कर रहे हो मतलब अपने दीन से दूर हो रहे हो। अब अगर दीन से दूर हो रहे हो तो इस्लाम के ख़िलाफ़ काम कर रहे हो जो कि हमें करना नहीं है तो हम तो मस्ज़िद जायेंगे और जो हमें दीन के रास्ते से हटायेगा वो "काफ़िर" और उसे "कुफ्र" की सज़ा मिलनी चाहिए। तो,
*पहला काफ़िर कौन?? - नरेन्द्र मोदी( और उसकी सरकार) - जिसने हमें मस्ज़िदों में जाने और नमाज़ अदा करने से रोका।
**दूसरा काफ़िर कौन?? - पुलिस - जिसने हमें बाहर निकलकर मस्ज़िदों में जाने से रोका।
**अब तीसरा क़ाफिर कौन?? - डॉक्टर्स - जिन्होंने हमसे बार बार सोशल डिस्टेंसिंग की अपील कर करके दीन से भटकाने की कोशिश की और अल्ल्लाह के अजाब यानि कि "कोरोनावायरस" से हमें बचाने की कोशिश में हमारा इलाज कर रहे हैं और इस अजाब को टालने के लिए संदिग्धों का टेस्ट और स्क्रीनिंग करना चाहते हैं इसलिए ये भी काफ़िर यानि कि कुफ्र के मुजरिम हुए।
तो भाई,
*पहले काफ़िर यानि कि नरेन्द्र मोदी को सोशल मीडिया पर पत्थर मार रहे हैं क्योंकि सामने जाकर उसको पत्थर मारने की इनकी औकात है नहीं।
**दूसरा काफ़िर यानि कि पुलिस वालों की टीम पर उत्तर प्रदेश में पथराव हुआ।
**तीसरे काफ़िर यानि कि डॉक्टरों पर इंदौर में पथराव हुआ।
तो इस प्रकार सभी काफिरों को पत्थर मारकर कुफ्र की सज़ा दी गयी है।
अब तक आप सबको काफी हद तक "मज़हबी उन्मादियों" का पत्थर प्रेम समझ आ गया होगा।
कमेंट्स के माध्यम से हमें बताते रहें कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारियां कैसी लग रही हैं?
जल्दी ही मिलूंगा किसी अगले लेख के साथ
तब तक के लिए
हर हर महादेव 🙏🙏🙏
लेख - #सशक्त_भारत_श्रेष्ठ_भारत
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