पांव से शूद्रों की उत्पत्ति: "वामपंथी भ्रमजाल"



पांव से शूद्रों की उत्पत्ति: "वामपंथी भ्रमजाल"

सभी भग्नि बंधुओं को हर हर महादेव 🙏🙏🙏

आज समझते हैं शरीर के अंगों से सभी वर्णों के मनुष्यों की उत्पत्ति के संबंध में किए गए दुष्प्रचार के सत्य की - 

ब्राह्मणोsस्य मुखमासीद्‍ बाहु राजन्य कृत:।
उरु तदस्य यद्वैश्य: पद्मयां शूद्रो अजायत।
(ऋग्वेद)
अर्थात्  ब्राह्मण की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से, वैश्य की उदर से, क्षत्रिय की भुजा से और शूद्र की ब्रह्मा के पैरों से हुई है।
शूद्र की उत्पत्ति ब्रह्मा के पैरों से  इसका मतलब यह नहीं है कि पैर निकृष्ट होते हैं।

असल में पैर श्रम का प्रतीक होते हैं। भुजाएं रक्षा का प्रतीक, उदर उत्पादन का और मस्तिष्क बुध्दि का प्रतीक होता है।
तो जो बुध्दि से संबंधित कार्य यानि कि लेखन अध्यापन आदि करे वह ब्राह्मण, जो रक्षा से संबंधित कार्य करे वो क्षत्रिय, जो श्रम से संबंधित कार्य करे वो शूद्र।

मनुस्मृति में भी कर्म के आधार पर वर्णों के विभाजन की बात की गई है और किसी भी वर्ण को निकृष्ठ नहीं माना गया है।

**शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम।
क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च।

"महर्षि मनु" कहते हैं कि कर्म के अनुसार ब्राह्मण शूद्रता को प्राप्त हो जाता है और शूद्र ब्राह्मणत्व को। इसी प्रकार क्षत्रिय और वैश्य से उत्पन्न संतान भी अन्य वर्णों को प्राप्त हो जाया करती हैं। विद्या और योग्यता के अनुसार सभी वर्णों की संतानें अन्य वर्ण में जा सकती हैं।

अब यह व्याख्या तो हुई किसी एक वर्ण को निकृष्ठ मानने की सामाजिक बुराई को शास्त्रसम्मत सिध्द करने के वामपंथियों के षड्यंत्र की।

अब बात करते हैं वामपंथियों के दूसरे दुष्प्रचार की।
आपने कई वामपंथियों को कहते सुना होगा कि पांव से कोई पैदा होता है क्या???
फिर गर्भाशय क्यों होता है??इत्यादि इत्यादि....

अब इस पूरी बात को थोड़ा समझते हैं।
सनातन संस्कृति में परमात्मा को अलग-अलग तरीकों से ऋषि मुनियों द्वारा शास्त्रों के माध्यम से समझाया गया है।

उन्हीं में पुराणों का भी विशेष महत्व है।
पुराणों में बड़े ही रोचक तरीके से परमात्मा के संबंध समाझाया गया है। पुराणों में ईश्वर को समझाने के लिए कई प्रतीकात्मक कहानियां हैं, जो कि मौलिक नहीं हैं लेकिन उनका उद्देश्य आपको ईश्वर को और अधिक रोचक तरीके से समझाने का है।

पुराणों में ईश्वर के निराकार स्वरूप को साकार प्रतीकात्मक रूप में समझाया गया है ताकि वह रोचक लगे।

अब कई लोगों यह जानकारी होगी कि संपूर्ण अस्तित्व को ही हमारी संस्कृति में "ब्रह्म" कहते हैं
अर्थात् कोई भी जीव या वस्तु जिसका अस्तित्व (existence) है वह ब्रह्म का ही भाग है।

 और इसी अस्तित्व यानि ब्रह्म के साकार स्वरूप को पुराणों में ब्रह्मा कहा गया है तो असल में यहां कोई पैर से या मुंह से जन्म नहीं ले रहा है बल्कि ये प्रतीकात्मक रूप में बताया गया है क्योंकि मस्तिष्क - बुध्दि क्योंकि जीव विचार दिमाग से ही करता है।
भुजाएं - रक्षा क्योंकि शस्त्र चलाने हेतु हाथ ही सबसे अधिक उपयोग में आते हैं।
  उदर - उत्पादन क्योंकि बिना उत्पादन के उदरपूर्ति संभव नहीं है।
 और पैर श्रम का प्रतीक हैं क्योंकि पैर ही सबसे ज़्यादा उपयोग में आते हैं कोई भी कार्य को करने हेतु और अस्तित्व को‌ सतत बनाए रखने के लिए यह चारों चीज़ें अत्यंत आवश्यक हैं इसलिए किसी एक को भी निकृष्ठ नहीं कहा जा सकता क्योंकि किसी एक के आभाव में भी अस्तित्व की रक्षा नहीं की जा सकती।

यह प्रतीक उसी तरह हैं जैसे हम बोलते हैं कि हम भारत माता की संतान हैं और हमने उनकी साकार रूप में मूर्ति भी बनाई लेकिन असल में उनका अस्तित्व उस तरह नहीं है जैसी हमारी मूर्ति है।

और जब हम बोलते हैं कि हम धरती मां की संतान हैं तो हमारा यह अर्थ तो कदापि नहीं होता कि हम धरती में से एक उखड़े हैं बल्कि हमारा यह तात्पर्य होता है कि यह धरती हमारा खाद्यान्नों के द्वारा पोषण करती है इसलिए यह हमारी जननी हुई।  

उसी तरह सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक माना जाता है इसका मतलब यह नहीं है कि  विश्व में शांति सफेद रंग के कारण है बल्कि हमने माना है कि श्वेत रंग द्वारा हम शांति को दर्शाएंगे।

प्रतीकात्मक बातों को उसी तरह समझा जाये जिस तरह उन्हें समझा जाना चाहिए।

उदाहरण के लिए कल को अगर आप किसी से कहें कि मैं पचास बार तुमको बोल चुका हूं कि फलां काम मत करो और सामने वाला व्यक्ति आपसे यही पूछ ले कि आपने पचास बार कब बोला???
पचास बार तो नहीं कहा मैंने गिना है।
तो निश्चित ही वह व्यक्ति आपको उच्च कोटि का मूर्ख मालूम पड़ेगा।
क्योंकि "पचास बार" से आपका अर्थ है कि आप इतनी बार कोई बात समझा चुके हैं कि अब बात आपकी सहनशीलता के बाहर हो चुकी है, इस बात को प्रतीकात्मक तरीके से बोलना चाहते हैं।
लेकिन मूर्खता की सीमाएं कहां होती हैं..... है न??

आगे मिलेंगे किसी अन्य विषय के साथ 
तब तक के लिए

 हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏

लेख✍️ - #सशक्त_भारत_श्रेष्ठ_भारत

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