"सहिष्णुता" की सीमाओं की परीक्षा


सभी भग्नि बंधुओं को हर - हर महादेव 🙏🙏🙏

बात थोड़ी पुरानी अवश्य है और ये लेख भी मैंने काफी समय पहले ही लिखा था लेकिन बताना आपको बहुत आवश्यक था इसलिए आपको आज बता रहा हूं।

आपमें से शायद कुछ लोगों ने मुनव्वर राणा का ट्वीट पढ़ा होगा, जिसमें कहा गया है कि "भारत में ३५ करोड़ (35करोड़) इंसान और १०० करोड़ (100 करोड़) जानवर रहते हैं" अब अगर आप में से कुछ लोगों ने मुनव्वर राणा का नाम नहीं सुना तो आपने उनकी मां पर  लिखी पंक्तियां "मैंने चलती फिरती आंखों से अज़ां देखी है मैंने जन्नत नहीं देखी मां देखी है"  ज़रूर कभी न कभी शेयर की ही होंगी और भी कई शायरियां हैं ऐसी। 

अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा लिखने वाला इंसान ऐसा ट्वीट कैसे कर सकता है?? तो उसका जवाब ये है कि मां पर सभी लोग लगभग एक सा ही सोचते हैं पर ज़रूरी नहीं "भारत मां" पर भी सभी लोग एक सी सोच रखें।

लेकिन फिर भी अचानक से ऐसा क्यों लिखा गया?? 

तो मेरे मित्रों अचानक से कभी न कुछ हुआ है न होता रहा है, बस हम एक भीषण के सुलगने से पहले घास के तिनकों पर पड़ी चिंगारियों पर ध्यान नहीं देते और जब वही चिंगारियां भीषण आग बनकर हमारे घरों तक पहुंच जाती है तब हमें चौंकते हुए विचार आता है कि ये अचानक आग कैसे लग गयी?? पर वो अचानक कभी नहीं लगी। 

ये वही मुनव्वर राणा हैं जो भोपाल में सिमी आतंकियों के एनकाउंटर पर कहते हैं कि "ये कैसा फर्ज़ी एनकाउंटर हुआ??? जब तक ५ -६ (5-6) पुलिसवाले और १५ - २० (15-20) लोग न मरें तब तक कैसा एनकाउंटर??" 

उन्होंने बोला आपने अनदेखा किया, अपने दिल को समझाया कि शायद इसका ये मतलब होगा वो मतलब होगा, अब इतना बड़ा आदमी ऐसी दो कौड़ी की बात क्यों करेगा?? और आप भूल गये क्योंकि आप किसी तरह का  टकराव नहीं चाहते। पर एक बात हमेशा याद रखी जाये कि अगर समय रहते ये आग न बुझाई गयी तो कहीं ये आग एक दिन हमारे घरों को चपेट में न ले ले।

एक समय था जब दूध में पानी मिलाने को मिलावट कहा जाता था, पर धीरे धीरे हमने ये स्वीकार कर लिया कि दूध में तो पानी मिलना ही है और उसी के परिणामस्वरूप आज हम दूध के नाम पर केमिकल पीने को मजबूर हैं अब क्या इसको भी हम स्वीकार कर लें??? 

बस बात इतनी सी है कि जितना ज़्यादा आप ऐसी नीचता को स्वीकार करेंगे निकट भविष्य में उतना ज़्यादा आप और अधिक नीचता के साक्षी होंगे। 

अब ऐसे लोगों को रास्ते पर लाया कैसे जाये??? 

क्या इनको बहुत गालियां दी जायें?? 

इनके पुतले जलाए जायें???

मेरे हिसाब से दोनों ही नहीं, क्योंकि ऐसी दो कौड़ी की सोच रखने वाले ये लोग हमारा इतना ध्यान आकर्षित करने का भी अधिकार नहीं रखते और न इतना इनका अधिकार होना चाहिए।

 फिर इनका क्या करें??

इनका तो पूर्णतः बहिष्कार किया ही  जाए और साथ ही साथ इनका समर्थन करने वालों को भी बहिष्कृत किया जाये और इनके बहिष्कार की हर मंच से सामूहिक घोषणा की जाये और अन्य लोगों से भी यही कराया जाये। ताकि एक बात हमेशा इनके ध्यान में रहे कि "ऐसी दो कौड़ी की सोच रखने और ऐसी बातें बोलकर ये बिना परिणाम भुगते ये लोग बचेंगे नहीं।

बात अगर कुछ ठीक लगी हो तो आगे आप बढ़ा ही सकते हैं मर्यादित भाषा में सटीक बात कहने का प्रयास किया है। और ख़बर सत्य है उसकी प्रामाणिकता के लिए ख़बर की लिंक साथ में संलग्न कर रहा हूं।

https://www.navodayatimes.in/news/khabre/munawwar-rana-controversial-tweet-35-crore-human-100-crore-animals-in-india-kmbsnt/146000/

हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏

लेख ✍️ - #सशक्त_भारत_श्रेष्ठ_भारत

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